
कुमाउनी कविता-
ढूंढन रयू
कुछ खास
कुछ विशेष
कुछ उपमा
कुछ श्लेष
मन में के नी रौछी शेष
ढूढंन रयू आज उ मास।
स्याणी अकल
स्याणी नकल
स्याणी शकल
स्याणी वेश
मन में कैं नी छी द्वेष
ढूढंन रयू आज उ खास।
बाज्यू लिछी
बाज्यू दिछी
बाज्यू कौंछी
बाज्यू नौंछी
मन में कैं नी छी क्लेश
ढूढंन रयू आज उ आस।
ईजक पकाई
ईजक बनाई
ईजक खिंचाई
ईजक रिसाई
मन में कैं नी छी विशेष
ढूढंन रयू आज उ पास।
आफू भूखै
आफू रूखै
आफू प्यासी
आफू बासी
मन में कैं नी छी ठेस
ढूढंन रयू आज उ गास।
-बी एस अधिकारी।
द्वाराहाट, अल्मोड़ा, उत्तराखंड।