
तीन हजार से अधिक की आबादी को है एक अदद पुल का इंतजार
अल्मोड़ा, आज हम जिन गांवों की बात कर रहे हैं वैसे तो उन गांवों को जोड़ने के लिए 3-3 सड़कों का निर्माण हुआ है, किंतु आपको यह जानकर हैरानी होगी कि तीनों में से एक भी सड़क बरसात के दिनों में यात्री को उसकी मंजिल तक नहीं पहुंचा पाती। जी हाँ हम बात कर रहे हैं अल्मोड़ा जनपद के ताकुला और हवलबाग विकास खंड के गांवों नाई, ढौल, किरड़ा, थपनिया, पोखरी, सुज्याली और गंगोलाकोटुली की।

अल्मोड़ा जनपद के इन गांवों को जोड़ने के लिए 3 सड़कों का निर्माण हुआ है। पहली सड़क अल्मोड़ा- सोमेश्वर के मध्य स्थित पातलीबगड़ से होते हुए थपनिया गांव में पहुंचती है, किंतु यह सड़क थपनिया पर ही विराम ले लेती है और आगे के गांवों को नहीं जोड़ पाती है। कारण है ग्रामीणों द्वारा किया गया विरोध। स्थानीय युवा बताते हैं कि कुछ बुजुर्गों द्वारा किये गए विरोध के कारण यह सड़क मंजिल तक नहीं पहुंच पाई।

दूसरी सड़क मनान से दो किमी. आगे से कटती है, जो मैगड़ी, धनलेख होते हुए ढौल, नाई गांव पहुंचती है, जो अंततः बसौली में अल्मोड़ा से बागेश्वर राजमार्ग में मिल जाती है। इस सड़क का कार्य काफी तेजी से हुआ है, किंतु यह सड़क भी बरसात में भूस्खलन के कारण जगह-जगह से अवरुद्ध हो जाती है।
तीसरी सड़क अल्मोड़ा से बसौली होते हुए नाई-ढौल पहुंचती है। ग्रामीणों के लिए यह सड़क सबसे अधिक उपयुक्त है, किंतु इस सड़क में बसौली के पास पड़ने वाली बिनसर नदी बहुत बड़ी बाधा के रूप में सामने आती है। बिनसर नदी में पुल न बना होने के कारण नदी से गाड़ियां गुजरते हुए आगे बढ़ती हैं, जिस कारण बरसात के दिनों में स्थिति अत्यंत भयावह हो जाती है। नदी में पानी बढ़ने के कारण गाड़ियां नदी के आर-पार नहीं जा पातीं। वर्तमान में नदी में पुल बनाने की प्रक्रिया गतिमान है, किंतु पुल इतनी धीमी रफ्तार में बन रहा है कि यदि वह इसी रफ्तार में बनता रहा तो पुल बनने में 2 से 3 साल का समय लग जायेगा। इससे कई सालों तक तीन हजार से अधिक की आबादी को समस्याओं का सामना करना पड़ जायेगा। इधर ग्रामीणों का कहना है कि पुल का इंतजार करते-करते उन्हें कई साल बीत गये। कई बार टेंडर पास भी हुआ लेकिन पुल नहीं बन पाया।


नाई गांव के ग्राम प्रधान नंदन सिंह नयाल का कहना है कि बरसात के दिनों में कई बार लोग जान जोखिम में डालकर नदी पार करते हैं। कई बार वाहन बीच नदी में फंस जाते हैं। इन समस्याओं से तभी निजात मिल सकती है, जब नदी पर पुल बने। वर्तमान में पुल का कार्य गतिमान है, किंतु जिस रफ्तार से पुल बन रहा है लगता नहीं कि वह पूरा बन पायेगा। मात्र चार-पांच लेबर काम करते हैं वे भी रोज नहीं कभी-कभी। उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया है कि पुल का निर्माण कार्य शीघ्र संपन्न किया जाना चाहिए अन्यथा क्षेत्र की जनता आंदोलन करने के लिए बाध्य होगी।