
पिथौरागढ़ में पहली बार आयोजित हुआ कुमाउनी भाषा सम्मेलन
पिथौरागढ़, ‘आदलि-कुशलि’ कुमाउनी मासिक पत्रिका के तत्वावधान में शहर में पहली बार दो दिवसीय कुमाउनी भाषा सम्मेलन का आयोजन किया गया। 11-12 जून को होटल सत्कार में आयोजित कुमाउनी भाषा सम्मेलन के पहले दिन उदघाटन सत्र में स्थानीय महिलाओं द्वारा शकुनाखरों की प्रस्तुति के साथ दीप प्रज्वलन किया गया। अतिथियों का स्वागत ‘आदलि कुशलि’ पत्रिका की सम्पादक डॉ. सरस्वती कोहली ने किया और डॉ. अशोक कुमार पन्त ने सम्मेलन की रूपरेखा प्रस्तुत की।
पहले दिन के मुख्य सत्र की अध्यक्षता सोर पिथौरागढ़ के इतिहासविद् पदमादत्त पन्त ने की। भाषाविद डॉ. डी. एस. पोखरिया ने ‘कुमाउनी भाषा का उदभव और विकास : नई सम्भावनाएं’ विषय पर बीज वक्तव्य रखा, जिसमें उन्होंने कुमाउनी भाषा की ऐतिहासिकता और भविष्य पर विस्तारपूर्वक विचार रखे। मंच पर अन्य अतिथियों के रूप में डॉ. हयात सिंह रावत, डॉ. परमानन्द चौबे, पूर्व विधायक श्रीमती चंद्रा पन्त उपस्थित रहे। सभी वक्ताओं ने कुमाउनी भाषा के संरक्षण और संवर्धन की जरूरत पर अपने विचार रखे। कार्यक्रम संयोजक विप्लव भट्ट ने बताया कि सम्मेलन में शामिल होने के लिए दिल्ली, देहरादून, अल्मोड़ा, हल्द्वानी, रामनगर व अन्य कई जगहों से कुमाउनी भाषाविज्ञानी, साहित्यकार शहर में आए हुए हैं।
इस सम्मेलन के दूसरे दिन ‘कुमाउनी भाषा का उदभव और विकास तथा नई सम्भावनाएं’ विषय पर विद्वानों ने विचार रखे और और विचारों व सुझावों पर अमल करते हुए सोर संकल्पपत्र जारी किया गया। शिक्षाविद डॉ. अशोक कुमार पन्त द्वारा प्रस्तुत किए गए इस सोर संकल्प पत्र में कुमाउनी भाषा के संवर्धन और प्रचार-प्रसार की बात कही गई है। सम्मेलन में सभी साहित्यकारों ने कुमाउनी भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल करने की जरूरत बताई और इस दिशा में सामूहिक प्रयास करने पर बल दिया। सम्मेलन में कुमाऊनी के वरिष्ठ कवि, गीतकार हीरा सिंह राणा को उनकी दूसरी पुण्यतिथि पर ‘लस्का कमर बांधा’ गीत गाकर याद किया गया।
सम्मेलन में पद्मश्री बसन्ती देवी, पूर्व विधायक काशी सिंह ऐरी, डॉ. हयात सिंह रावत, पदमादत्त पन्त, पदमादत्त चौबे, डॉ. पीताम्बर अवस्थी, महेश पुनेठा, पवन कुमार जोशी, नवेन्दु मठपाल, डॉ. आनन्दी जोशी, नमिता सुयाल, ज्योति भट्ट, प्रवीन भट्ट, मुख्य संयोजक डॉ. सरस्वती कोहली, विप्लव भट्ट, हेमराज मेहता, कुमार कैलाश, डॉ. किशोर पन्त, हेम पन्त, दामोदर जोशी ‘देवांशु’, हरिमोहन, महेंद्र ठकुराठी, प्रकाश चंद्र जोशी ‘शूल’, उदय किरौला, त्रिभुवन गिरि, मोहन जोशी, कृपाल सिंह शीला, जनार्दन उप्रेती’जन्नू दा’, चिंतामणि जोशी, शंकर दत्त जोशी ‘पनुवा’ आदि रचनाकार उपस्थित रहे।
दो दिवसीय सम्मेलन में ‘दुदबोली’ द्वारा कुमाउनी साहित्य स्टॉल, ‘समय साक्ष्य’ व आरम्भ टीम द्वारा बुक स्टॉल, भाव राग ताल टीम द्वारा मुखौटों व वाद्ययंत्रों की प्रदर्शनी लगाई गई। आगन्तुकों ने स्थानीय उत्पादों की खरीददारी की। इस दौरान कुमाउनी कवियों की कवि गोष्ठी भी आकर्षण का केंद्र रही।